आओ हँस लें

आओ हँस लें

Wednesday

मैं ही जीतूँगा



नेताजी के वोट मांगने पर
वोटर चिल्लाया
शहर कूडे से बजबजा रहा है
बीमारी से अस्पताल
पूंछते हो कैसा है हाल
नेताजी बोले मेयर किसका है
उससे क्यो नहीं पूछते
वोटर बोला
अच्छा बिजली ही बताइये
कहाँ चली जाती है
सड़क क्यों
गिट्टियों से गुलछर्रे उड़ाती है
खुदे चौराहों पर
तुम्हें लाज नहीं आती है
नेताजी
प्रदेश मे किसका है राज्य
किस पार्टी का राजा
क्यो नही बजाते उसका बाजा
वोटर कपड़े फाड़ने पर उतारू था
अच्छा मिले क्यों बंद हुयी
आपके 15 सालों के सेवा काल मे
रात मे आधी आबादी
सड़क पर क्यों सोती है
जो घर मे सोती है उसे
चोर डकैतों का डर क्यों है
क्यों इतने सपने दिखाते हो
और वोट ले के भाग जाते हो
कभी कभी
होते हो
गली कूँचे मे
मोहल्ले मे
जन्म दिन और तेरही मे
शहर बदल के दिखाना
तब ही वोट मांगने आना
नेताजी मुस्कुराए
अरे भाई
ओवर ब्रिज , नई गाडियाँ
हवाई अड्डे पर कभी तो उतरता है प्लेन
ये तो हमारी है देन
अबकी बार जिताओ
काया कल्प कर देंगे
वोटर बोला
अबकी सबसे पहले तौलेंगे
और किसी
साफ सुथरे को चुनेंगे
नेताजी मुस्कुराए
और अपना सफ़फाक कुर्ता देखकर
फूले नही समाये.......

—कुशवंश

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