आओ हँस लें

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Wednesday

आ गयी बाढ़ ..आओ हाथ धोएं


आ गयी बाढ़
आओ हाथ धोएं
मछली हुए पाओ
नापे सारा गाँव
छतों पर
अटारों पर
दरख्तों पर ठाव
सोचें भविष्य
बनायें बृहत प्लान
लाखों की लागत का बाढ़ कैम्प
केद्र सहायता
राज्य सहायता
विदेश सहायता
होया गया जुगाड़
आओ हाथ धोएं
लाशों पर
गिध्धों की छाया
टोपी भरे जहाज़ों  नें
राशन बिखराया
सम्बन्ध  हुए प्रगाढ़
आओ हाथ धोएं.


4 comments:

  1. केद्र सहायता
    राज्य सहायता
    विदेश सहायता
    होया गया जुगाड़
    आओ हाथ धोएं
    लाशों पर
    गिध्धों की छाया
    टोपी भरे जहाज़ों नें
    राशन बिखराया
    सम्बन्ध हुए प्रगाढ़
    आओ हाथ धोएं.
    sivay iske ham aur kar bhi kya sakte hain.bahut sarthak likha hai aapne.

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  2. कई लोग व्यग्र हैं हाथ धोने को. सार्थक कटाक्ष.

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  3. कुस्वंश जी बहुत ही सुन्दर भाव प्रधान और व्यंग्य भरी कविता आओ हाथ धोएं ..सच ये होता ही है -बाढ़ का दृश्य भी गजब ..
    सुन्दर कविता बधाई हो
    आभार आप का
    शुक्ल भ्रमर ५
    भ्रमर का दर्द और दर्पण
    बाल झरोखा सत्यम की दुनिया

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