आ गयी बाढ़
आओ हाथ धोएं
मछली हुए पाओ
नापे सारा गाँव
छतों पर
अटारों पर
दरख्तों पर ठाव
सोचें भविष्य
बनायें बृहत प्लान
लाखों की लागत का बाढ़ कैम्प
केद्र सहायता
राज्य सहायता
विदेश सहायता
होया गया जुगाड़
आओ हाथ धोएं
लाशों पर
गिध्धों की छाया
टोपी भरे जहाज़ों नें
राशन बिखराया
सम्बन्ध हुए प्रगाढ़
आओ हाथ धोएं.
केद्र सहायता
ReplyDeleteराज्य सहायता
विदेश सहायता
होया गया जुगाड़
आओ हाथ धोएं
लाशों पर
गिध्धों की छाया
टोपी भरे जहाज़ों नें
राशन बिखराया
सम्बन्ध हुए प्रगाढ़
आओ हाथ धोएं.
sivay iske ham aur kar bhi kya sakte hain.bahut sarthak likha hai aapne.
sateek vyangy .aabhar
ReplyDeleteकई लोग व्यग्र हैं हाथ धोने को. सार्थक कटाक्ष.
ReplyDeleteकुस्वंश जी बहुत ही सुन्दर भाव प्रधान और व्यंग्य भरी कविता आओ हाथ धोएं ..सच ये होता ही है -बाढ़ का दृश्य भी गजब ..
ReplyDeleteसुन्दर कविता बधाई हो
आभार आप का
शुक्ल भ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया