आओ हँस लें

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Tuesday

पटना-भैया







ॐ पुरी जी डर  गए
ऐसा हुया प्रपंच 
जब इकट्ठे हो गए
पञ्च और सरपंच
पञ्च और सरपंच
भागो जान बचाकर 
प्रयोग करे अधिकार 
रहेंगे सजा दिलाकर
रोओ चाहे माफी मांगो घूम घूम कर
सजा  दिलाएंगे तुम्हे
संविधान चूमकर
तुमसे तो वो  अच्छी 
जो नहीं डरी
अब ताल ठोंक कर वो
मैदान खड़ी
हम करते है तू तड़ाक
ये अधिकार हमारा
जोश में आकर किया
मर गया पुरी बेचारा
पटना-भैया कितना भी मसखरी करें
तुम कह दो तो ... आओ 
तुम्हे जलील करे
डरते है सब पार्टी वाले 
इस  भैया से
न जाने कब तेरह सांसद 
आयें  घर से
भौजी को एक्स्पेरियांस भी है
बहुतै भारी 
आने दो चुनाव
चलेंगे तिकड़म सारी 
हर पार्टी से दो-दो  टिकट  
घर के मांगेंगे 
जीतेंगे जब 
साम दाम और  दंड जागेंगे 
गठबंधन की 
सबसे बड़ी पार्टी  होगी
प्रमुख मंत्री बनाने की तब 
बात बनेगी 
देखा ये है अपना 
तम्बा - लंबा  प्लान
राजनीती में है. 
ऐसी ही 
पर  अपनी शान.

(ऐसी वाणी बोलिए ..मन का ..आपा ..खोय 
छेद करे बादल में  , सदरी.. चिथड़ी होय )

7 comments:

  1. bahut khoob vyangy .i have sent you ''bhartiy nari ''blog invitation on 'kushvansh@gmail.com''is this not your right E.MAIL id .please tell me your right id .

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  2. बहुत सटीक व्यंग्य है। ‘उस’ दिन ‘उस’ भवन में ‘वे’ कह रहे थे - हमारी तो आदत ही है, पेशा है, लोगों कि पगड़ी उतारना।
    जब एक ने कह दिया, ‘एक’ मंच से तो ‘उनके’ विशेष अधिकार का हनन जो हो रहा है।

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  3. कुश्वंश जी ,
    आपका यह ब्लौग आज ही देखा। बहुत अच्छा लगा। सुन्दर व्यंग।

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  4. कविता क्या पढ़ें? चित्र देखकर ही हँसी आ जाती है।

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  5. शिखा जी kushwansh लिखिए

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  6. kushwansh ji
    aapke is blg par pahli baar aai hun par aapki yah post padh kar bahut hi achha laga.
    kya karar v sateek vyng kiya hai aapne .
    bahut bahut badhai
    poonam

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