आओ हँस लें

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Wednesday

झाड़ू



झाड़ू
घर बुहारने के लिए ली थी
सड़क बुहारने लगी
और यहाँ वहाँ फैले कचरे को बुहार कर
एक जगह इकट्ठा कर लिया
कचरा
पानी मे भीग गया
सड़ गया
और पूरा शहर बजबजाने लगा
अब झाड़ू भी  नाकाम थी
कीचड़ बुहर ही नाही रहा था
झाड़ू की तिलियां भी
कीचड़ से भर गईं
टूट कर बिखरने लगी
सोचा था
देश बुहारेंगे
साफ सुथरा बनाएँगे
घर की गंदगी को भूल कर
देश की गंदगी दिखने लगी
उस गंदगी मे
महक महसूस होने लगी
झाड़ू
किसी और मिशन मे लग गई थी
देश के मिशन मे
घर बंदरों के हवाले छोड़ कर
टूटी तीलियां बदलकर
नई झाड़ू
बढ़ चुकी थी कहीं और
किसी और मिशन पर

 

1 comment:

  1. @आप की बखिया उधेड़ अभिव्यक्ति उत्तम है
    सादर

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