आओ चलो उठाओ पत्थर
भिखमंगे आये है
दरवाजे पर राजनीति के
नंगे आये है .......
बिजली ,पानी और सड़कों को
रोते रोते हार गए
एक पहर की रोटी खाते
जीवन अपना मार गए
महगाई पर गाल बजाने
तिलंगे आये हैं
दरवाजे पर राजनीति के
नंगे आये है..........
घोल के पी गए शर्म हया
मन में रत्ती भर नहीं दया
शमा जली तो देने जान
पतंगे आये है
दरवाजे पर राजनीति के
नंगे आये है आये है.......
पैरों गिर कर माफ़ी मांगे
पांच बरस में सोकरजागेंढंग समझानें दरवाजे पर
बेढंगे आये है
दरवाजे पर राजनीति के
नंगे आये है.......
आपने हमारे राजनेताओं को बहुत सुंदर नामों से सुशोभित किया आभार :)
ReplyDelete:)
ReplyDeleteजोरदार
ReplyDelete