आओ हँस लें

आओ हँस लें

Thursday

नंगे आये है


आओ चलो उठाओ पत्थर
भिखमंगे आये है
दरवाजे पर राजनीति के
नंगे आये है .......
बिजली ,पानी और सड़कों को
रोते रोते हार गए
एक पहर की रोटी खाते
जीवन अपना मार गए
महगाई पर गाल बजाने
तिलंगे आये हैं
 दरवाजे पर राजनीति के
नंगे आये है..........
घोल के पी गए शर्म हया
मन में रत्ती भर नहीं  दया
शमा जली तो देने जान
पतंगे आये है
दरवाजे पर राजनीति के
नंगे आये है  आये है.......
पैरों  गिर कर माफ़ी मांगे
पांच बरस में सोकरजागें
ढंग समझानें दरवाजे पर
बेढंगे आये है
दरवाजे पर राजनीति के
नंगे आये है.......




  

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