आओ हँस लें

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Friday

तुम नेता हो



तुम नेता हो 
भाषणों  में 
असत्य उगलो 
लफंगई रंगों में दौडाओ 
इन्कलाब जिंदाबाद की भीड़ जुटाओ 
बड़ी-बड़ी मूंछों वाले 
पथरीले चेहरे पालो 
अस्मत लूटो 
नालों में रक्त बहाओ 
गलियों में गस्त और कर्फ्यू  लगाओ 
बस तुम अपने घडियाली आंसू  बहाओ 
दौरे से लौटो 
बन्दूक से कारतूस के खुक्खल  निकालो  
कुर्सी पर रहकर 
कुर्सी  का मूल्य जानों 
आपनी आकाओं को पहचानो 
ताकि सुरक्षित रहे जीवन 
अग्रजीवन हेतु ट्रस्ट बनाओ 
सरकारी दया दिखाओ 
चन्दा उगाहो 
रोज नयी अप्सराओं की  गोद में झूलो 
अपने ही गाव की 
सुगंध भूलो ..

.........

पहले तुम 
मेरे मन मंदिर के देवता थे 
मेरा ह्रदय बार-बार तुम्हें 
नमन करता था 
आज देखता हूँ तो 
मुह फेरने का मन करता है 
कारण  तुम  स्वयं हो 
तुमने ही मेरे जीवन के 
कई घरौंदे तोड़े है 
और आज भी तोड़ रहे हो .

-कुश्वंश 

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